जब पॉलिटिक्स विनडिक्टिव न हो तो परिणाम अच्छे आते हैं।

यदि कुमारी शैलजा ने २००२ में तत्कालीन संयुक्त सचिव, पर्यटन मंत्रालय, श्री अमिताभ कंत द्वारा ब्रांडेड शब्द “Incredible India” को बदल दिया होता या फिर उसके ऊपर ध्यान न दिया होता तो आज भारत ८४.५ BSI स्कोर के साथ दुनियाँ के शीर्ष सात मोस्ट वैल्युएबल ब्रांड्स में एक पायदान के छलाँग के साथ खड़ा नहीं हो पाता। पिछले साल भारत ८वे पायदान पर था। इसकी ब्रांड वैल्यू में पिछले साल की तुलना में ३२% के बढ़ोतरी हुई है और यह $१.६२१bn से $२.१३७bn हो गया। इसकी रेटिंग्स A+ की रही और यह BRICS नेशंस की एकमात्र देश है जिसके ब्रांड वैल्यू में बढ़ोतरी हुई है। इस साल नेशंस ब्रांड्स स्टडी ब्रांड फाइनेंस और fdiइंटेलिजेंस के पार्टनरशिप से पब्लिश्ड हुई है। यह ब्रांड वैल्यूएशन पास्ट जीडीपी डेटा और OECD तथा ऑक्सफ़ोर्ड इकोनॉमिक्स द्वारा प्रकाशित लॉन्ग टर्म इकोनोमिक ग्रोथ के आधार पर होता है। इस अच्छी खबर के साथ भारत के लिए सावधान रहने और अधिक मेहनत करने की जरुरत है क्योंकि भारत न ही स्ट्रॉंगेस्ट ग्रोइंग नेशंस के लिस्ट में स्थान बना पाया है और न ही स्ट्रॉंगेस्ट नेशंस ब्रांड्स के शीर्ष १० में कोई स्थान बना पाया है। इसे नेशंस ब्रांड्स फॉर इन्वेस्टमेंट जो FDI क्लाइमेट को परखती है उसके भी शीर्ष १० में स्थान नहीं बना पाया है.

भारत हर साल इसमे उत्तरोत्तर आगे बढ़ता जा रहा है। जहाँ २०१३ में यह नवें पायदान पर था वहीं २०१४ में २४% बढ़ोतरी के साथ यह ८वे पायदान पर खड़ा हो गया। यदि आप विनडिक्टिव होते हो और पालिसी रेगुलरली पॉलिटिक्स के कारण चेंज करते हो तो आप वोट पा जाओगे, किन्तु जनमानस का भला न कर सकोगे। एक सरकार के लिए अच्छा है की वह पुराणी पालिसी को ही उन्नत करे और जो नया करना चाहते हैं वह पुरानी वाली में ही assimilate करे तो बेहतर। यह सही है की यदि विपक्ष को सत्ता मिलता है तो उसकी वजह पालिसी ही होती है किन्तु damages को कंट्रोल किया जा सकता है, डेंट को ठीक किया जा सकता है और साथ ही यदि सरकार पॉलिसीस में हर पाँच साल बाद बदलाव लाये तो यकीन मानिये विकास एक बिकास बन कर ही रह जायेगा।

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